Poem on Women : Ek ladaki aur ek ahsaasएक लड़की और एक अहसास
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एक लड़की और एक अहसास
एक दूर किसी गली में, एक लड़की का घर था।
नन्ही-नन्ही आंखो में, प्यारा सा बचपन था।
छोटी सी हाईट लिए, ख्वाब मानो जैसे माउंट एवरेस्ट सा।
हल्की सी मुस्कान लिए, उड़ना मानो जैसे बटरफ्लाई सा।
इंतज़ार करती वो हर पल उस लम्हे का,
जब मौका मिलेगा उसे अपने पैरो पे खड़ा होने का।
स्कूल मे स्टूडेंट्स के बीच थी वो लाखो मे एक,
हीरे सा ज्ञान और चंदा सा रूप एक।
जब खत्म हुआ ख्वाब को पूरा करने का वेट,
और मंज़िल की ओर बड़ाने थे उसको स्टेप।
दुनिया बोली- अरे, इसकी सादी करा दो क्या करेगी इतना पढ़ लिख कर!
रिस्तेदार, पड़ोसी बोले- अरे, इसको अपने साथ रखो
क्या करेगी कही बाहर जाकर !
फस गई निगेटिविटी के लूप मे, मेंटल स्ट्रेस से तंग हो कर।
खो गई सोसाईटी के भिन्न रूप में, अपने ख्वाबो से जंग ले कर ।
अपने ख्वाबो के मोती को एक माला में पिरोये, उसने खुद का एक ऐसा जहाँ
बनाया।
जाने की ना थी किसी को इज़ाज़त वहाँ, ऐसे कुछ सपनो का महल बनाया।
टूटी हिम्मत से बिखर गई
पर फिर जगी उसकी आस।
तू अपना काम कर, ठोकरो से प्यार कर, एक ज़ज़्बा था उसके
पास।
हार्ड वर्क से करेगी जब दोस्ती, तभी तो एक नया चैलेंज आएगा।
रिजेक्सन से मिलाएगी जब हाथ, तभी तो अपना टाईम आएगा।
उठ खडी हुई फिर एक पोसिटिविटी के साथ, दिल मे जलाकर लाखो पैसन को पूरा करने की
आग।
हौसला उठाया फिर हुनर को हिम्मत बना कर, कर गई वो दुनिया को इगनोर।
चली ही थी एक राह को मंजिल बनाकर, फिर एक आवाज़ उठी और ना बंद कर पाई उनका
शोर।
हर बार की तरह रोक लिया उसके सो काल्ड संस्कारो ने।
अरे छोड़ इस दौड़ को, क्या रखा इन सब कामो मे।
इस बार टूट गई वो, रोते बिलखते छूट गई सपनो की चाल।
रुक कर बैठ गई वो, सन्यासी सा बनके, आया ऐसा भूचाल।
कैद हुई एक पिंजरे मे, पंख उसके फड़फड़ाए।
देखे टुकुर टुकुर खुले आसमां मे, नयन उसके ललचाएं।
तूफानो के भारी समुंदर मे, लगने लगी जमीन मे वो धसने।
अब औरो की क्या बात करे, जब खिलाफ हो गए उसके सारे अपने।
जैसे बदली हवा ने अपनी डोर, मच गया
मन मे उसके बेचैनी का शोर।
तभी दबे-सहमे सपनो की एक आवाज़ आई।
बैठी क्यूं है तू, तू चल- चल जैसे एक पुरवाई।
तू उठ खड़ी हो, यूं बैठना नहीं लिखा तेरी किस्मत में।
माना ख़्वाब मुस्किल है, शायद नामुमकिन भी हो,
यूं भरोसा नहीं दिखा इस जन्नत पे।
हाथ उसके कप- कपा रहे थे, कदम उसके लड़कखड़ा रहे थे।
जैसे मानो फड़फड़ाते हो पंख एक वर्षो से कैद पक्षी के।
सोच क्या रहे ओ सुनने वालो… हैरानी की बात तो है..
पर हालात तुमने ही किये है एक मचलती लड़की के।
सोच रहे हो क्या होगा उसके साथ, क्या पूरे होंगे उसके ख्वाब।
बन जाएगी एक मिशाल, या रह जाएगी यू ही परेशान।
दया दिखा रहे हो अब तुम यहाँ, जब सहारा दिखाना था तुम्हे वहाँ।
जब रोक रही थी तुम मे से किसी की जुबां…
और बेसहारा कर डुबो दिया, तुमने उसका जहाँ..
ना अब अफसोस कर इसके अतीत पे, ना अब सोच तू इसके भविष्य को।
क्योकि इसके दिल मे एक आस अभी भी बाकी है, कर प्रणाम तू इसके जज्बे को।
ये तो फिर जुड़ जाएगी, पर सौ मे से निन्यानवे टूट जाएंगी।
तू अफसोस करता रह जाएगा, वो दबती चली जाएगी।
बन तू इसके लिए पहाड़ कोई जो काट सके ना कोई।
रौंध सके तुझे ना कोई, जो रौंधने आया था किसी लड़की के ख्वाब कोई।
हाथ उसके कप- कपा रहे थे, कदम उसके लड़कखड़ा रहे थे।
जैसे मानो फड़फड़ाते हो पंख एक वर्षो से कैद पक्षी के।
निकल पड़ी ख्वाब को पूरा करने,
नामुमकिन को मुमकिन करने।
जानती थी दुनिया बोलेगी, जमाना मज़ाक बनाएगा।
पर कब तक आखिर कब तक अपना टाईम वेस्ट कर, वो उसको रोक पाएगा।
कोम्पटीसन की दुनिया मे जब उसने कदम रखा, तो एक्स्पेक्टेसन कुछ बहुत थी।
भीड़ भरे समुंदर मे तो ह्युमन्स की, तो रियलिटी कुछ और थी।
खुद से उसने सोच लिया, माना वो हार जाएगी।
पर हौसला बुलंद हो तो, अकेले ही वो जीत जाएगी।
माना एक परसैंट लोग ही कामयाब होते है अपने ख्वाब मे।
पर एक परसैंट मे वो नही, ये नही लिखा किसी किताब मे।
लगा तू अपनी जान, स्ट्रगल ही है तेरी शान।
अरे सफर की कोई सीमा नही, चलती रहे तू आसमान को मान।
कोई नाम शौरहत नही, कि कदम उठाया और मंज़िल ये रही।
मज़ा तो तब है जब पैरो मे भागने की थकान रहे।
तभी तो तू एक पहचान बनेगी, तभी अपने जैसे औरो को तू इंसपायर करेगी।
तभी दुनिया इस नाम को जानेगी, तभी तो तू अपनी तकदीर खुद लिखेगी।
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Comments
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ReplyDeleteBhot hi sundr lekh👏
ReplyDeletevery nice👌🏼👌🏼
ReplyDelete👍👍👍👍👍👌👌
ReplyDeleteSuperb
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ReplyDeleteक्यूं हाथ थामना जरूरी है
ReplyDeleteजब खुद पर है विश्वास
रख हौसला बड़ा कदम
ऊपर बाला खुद देगा साथ तेरा
बस जगा अपना आत्मविश्वास
कहेगा जमाना कहने दो
गर हस्ता है तो हसने दो
झुक जायेगा खुद ब खुद
कदमों में तेरे
अगर हो गई कामयाब
तो क्या डरना इस जमाने से
इस समाज की कुनीतियो से
जो पल में बदल जाए
इसलिए बना अब मनसूबे
उठा ले हथियार
तोड़ दे चट्टान
Amazing poem
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