INDEPENDENCE DAY POEM (1857-1947 Everything in a Poem) Hindi

Image
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,  देखना है ज़ोर कितना बाजुए कातिल में है।   बस गए बहरूपियो में, जकड़ गए लोहे की बेड़ियों मे। दब गए विदेशियो में, लकड़ गए बंधे बंधे कैदियों से।  रह गए सीमाओं में, बंद दरवाज़े खिड़कियां जैसे नदी के ठहराव में।  कुछ करने की लालसा थी देशवासियों में, ठाना तो था पैरों से चलकर जलती चिंगारियो में।  पर कोड़े पीठ पीछे, मार मार ढाली मजदूरियों से।  ईट महलों विदेशियों के, भरते थे नोटों की महफिलों से।  अपने आंगन में अपने भूखे और विदेशी पेट भरे सोते थे महलों में।  ऐसी लकीरें थी हाथों में हमारे अंग्रेजों के शासन में। इन आहसासों को हमे नहीं भूलना चाहिए, इस प्रताड़िता को, इस भेद भावनाओं को, हमें इस तरह मारना, मजदूरी कराना, मना करने पर सूली पर चढ़ा देना, जिंदा लाश बना देना, यह सब बर्दाश्त करना लिखा था हमारी भी किस्मत में। पर हुआ कुछ अलग, सुनिए  गुलामी की दसख्ते खटकी हर घर दरवाजे पर।  कुछ शिकार हुए कुछ शहीद हुए, इस जंजीरों की लगामो से।  पर सैनिकों के विद्रोह से, मेरठ में क्रोध से।  उठा एक संग्राम, 1857 का पहला स...

दुनिया(Duniya): आत्मविश्वास, मेहनत, ख़्वाब, कर्म - एक छोटा लेख।



   कहते है,
   
     अगर कुछ करने कि ज़िद हो तो इस तरह ख़्वाब देखें कि सूरज चाँद की चमक की रोशनी उन आँखो से देखे हुए ख़्वाब ना बदल सके। आँखो में हो तो बस मंज़िलों के सपने, कुछ करने की तड़प, अपने ऊपर आत्मविश्वास, और ऊंचाई को छूने का जुनून। कुछ ऐसी राह पर चलकर दिखाओ कि देखने वाले भी इन पद चिन्हों पर चलने का प्रयास करें। लोगो को अपनी ऊँची उड़ान से लहर के दिखाओ। अपने पंखों की तेज़ फड़फड़ाहट की ध्वनि से अपनी जीत का शोर मचा दो। कुछ इस तरह आसमान में उड़ान भर कर दिखाओ कि कठिन रास्ता भी सरल बन जाए। सपने देखे हैं तो निशाना उस मछली की आँख पर लगाओ कि आसपास के मोह आँखो की दिशा ना बदल दे। यह बात सच है कि जिंदगी में हमेशा रास्ते आसान नहीं होते पर सच तो यह भी है कि राह कोई असंभव भी नही होती।

       हमेशा इस सफर में कदम से कदम मिलाने वाले नहीं होते। अगर आप किसी के साथ का इंतजार करते रहे तो इंतज़ार कभी खत्म नही होगा। इंतज़ार और समय दोनो की सीमा होती है। इतना इंतज़ार भी मत करिए कि बाद में पछताने के सिवा कुछ ना बचे। उम्मीदें वहाँ ना लगाए जहाँ उम्मीदें टूटने की आशा सौ प्रतिशत हो। अगर साथ वाले साथ ना हो तो डरो मत। अकेला ही चलना पड़ता है बुलंदियों को छूने के लिए। एक अकेली चींटी को देखिये तो वो अकेली ही अपना बोझ उठा लेती है।

        अगर आप खुद को रोक लेंगे तो आपको अनुभव होगा कि ज़िंदगी ठहर सी गयी हो, लेकिन मैं चाहती हूँ आप समाज में उन लोगो को अपने उदाहरण की तरह ग़ौर से देखें जो कभी कठिन समस्याओं में थे और आज सिर्फ उनकी मेहनत ने उनके जीवन को सफल और हर व्यवस्था के साथ खुश-हाल बनाया है। कभी कभी लोग भी खिलाफ होंगे, आपके रास्ते को रोकने का प्रयास करेंगे पर फिर भी कठिन रास्ता आसान आपको बनाना है। 
         ज़िंदगी एक समुद्र की तरह गहरी है जिसमें कई राज़ छुपे है। इसमें कई प्रकार के जीव घूमते हैं, और किस जीव से हमें क्या नया ग्रहण करना है वो हम पर आधारित है। हर मनुष्य में अच्छे और बुरे दोनो ही गुण होते है बस हमें क्या लेना है वो हमे सीखना चाहिए। कुछ ना कुछ हर मोड़ पर ज़रुर सीखते रहना चाहिए। 

         इससे मन में एक नया सुकून, तरह-तरह की सीख, एक नए दिये की आशा और खुशी मिलती है। सीखने की कोई उम्र नही होती और अगर उम्र के कारण आप शांत बैठे है तो यकीन मानो आपका मस्तिष्क ठहर जाएगा और यूँ ही आपकी छोटी सी जिंदगी ठहर जाएगी

         रुकता तो यहाँ कोई भी नही फिर चाहे घड़ी को देख ले या चाँद को या इस पृथ्वी को, या अंतरिक्ष में घूमने वाला कोई भी ग्रह। यहाँ गति सबसे ज्यादा ज़रुरी है।

        क्या आपने कभी घड़ी की सुईयों को देखा है? 

इसमे तीन सुई होती हैं, कभी निगाह डालिए तो आप देखेंगे कि हर सुई निरंतर चलती रहती है फिर चाहे सेकेंड वाली कुछ तेज़ या घंटे वाली कुछ धीमे, पर अपने समय के साथ बदल
ती वो भी है। इसलिए हमें समझ लेना चाहिए कि हमारा वक्त भी रुका हुआ नही है। आज अंधेरा है तो कल रोशनी ज़रुर होगी, आज रात है तो कल दिन भी होगा, बस हमें अपने हौसलों को जीवित रखना है। अपने ऊपर विश्वास रखना है।

     इसके लिए पहले खुद में आत्मविश्वास रखना होगा, क्योंकि यही इंसान की सबसे बड़ी ताकत है। याद रखें, आत्मविश्वास उसी में होता है जिसमें कुछ करने का लालच और ज़िद होती है।      

Comments

  1. Fabulous ...
    Bahut aacha likha h ap n

    ReplyDelete
  2. उत्तम...अति उत्तम...बहुत सुंदर लेख है।👍👍

    ReplyDelete
  3. bhut khoob��������

    ReplyDelete
  4. अति उत्तम और यथार्थ सत्य

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

What is INDIAN CULTURE? Is Indian culture decaying? Short Article

POEM: आखिर कब तक मुझे रोकोगे (aakhir kb tk mujhe rokoge) in hindi

INDEPENDENCE DAY POEM (1857-1947 Everything in a Poem) Hindi